एमसीएल ने ओडिशा राज्य की स्थापना दिवस मनाया
बुर्ला,सम्बलपुर: दिनांक 01.04.2019 को महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड(एमसीएल) में ओडिशा राज्य दिवस मनाया गया । एमसीएल की 28वें स्थापना दिवस के अवसर पर एमसीएल में 01 अप्रैल को ओडिशा राज्य दिवस एवं 03 अप्रैल,2018 को एमसीएल की 28वॉं स्थापना दिवस समारोह मनाया जा रहा है । एमसीएल के मुख्य सतर्कता अधिकारी श्री मुनव्वर खुर्शीद,आईआरपीएफ मुख्य अतिथि की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में साहित्य एकाडमी पुरस्कार प्राप्त श्री हरप्रसाद दास, श्री ओ पी सिंह, निदेशक(तकनीकी/योजना एवं परियोजना),श्री के आर बासुदेवन, निदेशक(वित्त), तथा जागृति महिला मण्डल की उपाध्यक्षाऍं डा0 नाशिना आफरिना अल्ली , श्रीमती मधु मिश्रा, श्रीमती पद्मजा सिंह, श्रीमती पद्मनी बासुदवन आदि सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे ।
समारोह के प्रारंभ में मुख्य अतिथि एवं सम्मानित अतिथियों ने महापुरूषों के फोटोचित्र(प्रतिमूर्ति) पर माल्यार्पण कर मंगल दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया । एमसीएल आनन्द विहार क्लब के कलाकारों ने उत्कल जननी को नमन करते हुए वन्दे उत्कल जननी समूह गीत प्रस्तुत किया । कोल इण्डिया गीत को उपस्थित सभी लोगों ने अभिवादन किया । एमसीएल के मुख्य सतर्कता अधिकारी श्री मुनव्वर खुर्शीद,आईआरपीएफ मुख्य वक्ता श्री हरप्रसाद दास, को शॉल व श्रीफल देकर सम्मानित किया ।
इस समारोह के मुख्य वक्ता श्री हरप्रसाद दास ने ओडिशा के महापुरूषों को नमन करते हुए , सम्बलपुर की इस मिट्टी की खुशबू को विश्व के मानस पटल पर छाने की बात कही एवं ओडिशा की कला व परम्परा, जगन्नाथ संस्कृति विश्व प्रसिद्ध होने की बात कही ।
मुख्य अतिथि एमसीएल के श्री मुनव्वर खुर्शीद,आईआरपीएफ ने अपने अभिभाषण में अपने कर्मचारियों तथा पूरे ओडिशावासियों को अभिनन्दन ज्ञापन किया एवं सुख समृद्धि के लिए कामना की । उन्होने यह भी कहा कि ओडिशा के बरदपुत्रों के प्रयास से स्वतंत्र ओडिशा प्रदेश गठन हुआ । कल समाप्त हुए वित्तीय वर्ष 2018-19 में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए एमसीएल ने 144 मिलियन टन कोयला उत्पादन कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है । इस उपलब्धि के लिए एमसीएल परिवार के हर सदस्य को उन्होंने बधाई दी । श्री मुनव्वर खुर्शीद ने कवि गंगाधर व गापबन्धु दास की राष्ट्र के प्रति भावना को अपने वाणि से व्यक्त की एवं उन बरदपुत्रों को नमन करते हुए उनके योगदान को स्मरण किया । अन्त में ओडिशी नृत्य , गोटिपुअ नृत्य, सम्बलपुरी नृत्य आदि परिवेशित हुआ ।